JAS Foundation

सेवा परमों धर्मः

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सेवा परमों धर्मः

नमस्कार साथियों पिछले 23 सितम्बर 2023 से आपकी संस्था जन अभ्युदय सेवा फाउंडेशन जिसे हम संक्षिप्त मे जस फाउंडेशन कहते हैं, वह 3 वर्षों की यात्रा पूरी कर चुकी है। साथियों मेरे साथ-साथ संस्था के हर सदस्य के लिए यह खुशी का अवसर है साथ ही साथ आपके लिए भी उतनी ही खुशी की बात होगी। दोस्तों मैं संस्था के शुरुआत से अभी तक की यात्रा आपसे साझा करना चाहता हूँ, मुझे यकीन है की आप जरूर प्रेरित होंगे और कुछ बड़ा करने की ठानेंगे।

साथियों मैं 3 अगस्त 2020 को 20 वर्ष का हो गया था और ये दिन खुशी का था सभी तरफ से बधाइयाँ आ रही थी। मैं खुश तो था लेकिन एक बात थी जो मेरे को सोचने पर मजबूर कर रही थी। मैं टालने की कोशिश कर रहा था क्योंकि मैं खुद को लेकर विश्वस्त नहीं था कि कर पाऊँगा या नहीं लेकिन कहते हैं ना “विचार ही वस्तु है।” जो भी चीज आप बड़ी सिद्दत से सोचते हो उस पर आस्था रखते हो वो आपकी जिंदगी मे साकार रूप में जरूर आता है। वही मेरे साथ हुआ।

मैं जब 10वीं मे था तब से बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था पहले छोटे बच्चों को फिर जैसे जैसे मैं बड़ा होता गया बड़े बच्चों को पढ़ाने लगा। मैंने 20 साल तक लगभग लगभग 3 से 4 हजार बच्चों को पढ़ाया होगा। मैं बच्चों के घर जाकर पढ़ने के साथ-साथ कोचिंग सेंटर में भी पढ़ाता था। मुझे दूसरों को पढ़ाने, सिखाने और समझाने मे बहुत अच्छा लगता था साथ मे मजा भी बहुत आता था। इसी दौरान कई बच्चे ऐसे मिल जाते थे जिनकी आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी लेकिन वो पढ़ना चाहते थे, मैंने उन्हे बिना पैसे लिए पढ़ाया लेकिन फ्री मे नहीं क्योंकि मैं उनसे मेहनत और लगन रूपी फीस लेता था जो उन्हे उनके कक्षा में अव्वल बनाता था।

साथियों 2020 में कोरोना लग गया और भारत में लॉकडाउन लग गया। विद्यार्थी स्कूल नहीं जा पा रहे थे और उनकी पढ़ाई मे रुकावट आने लगी मेरा भी बाहर जाकर पढ़ाना मुश्किल हो गया। मेरे विद्यार्थियों के माता-पिता बेरोजगार हो गए गए, वो फीस देने मे सक्षम नहीं रहे। तब मैंने सोचा क्यों ना ऐसे बच्चों को बिना फीस के पढ़ाया जाए। हमनें अपने दोस्तों का समूह बनाया,जो ऐसे बच्चों की तलास करते जिन्हे वाकई में शिक्षा की जरूरत है और आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं उन्हे हमने छोटे-छोटे समूह मे कर के पढ़ाया और मैंने उन्हे आनलाइन कोचिंग पढ़ाना भी शुरू कर दिया जिन तक मैं कोरोना की वजह से नहीं पहुँच पाता था।

साथ ही समाज सेवा करना जैसे कोरोना मे बेघर लोगों को अन्नदान आदि कई संस्थाओं के साथ मिलकर शुरू कर दिया। मुझे ये सब करके बहुत सुकून मिलता था। मैं स्नातक के अंतिम वर्ष में था। पिता जी भी घर में थे, उनसे अक्सर चर्चा होती थी की कैसे हम एक संगठित रूप से काम करें। फिर क्या एक एनजीओ बनाने की बात शुरू हुई। मेरे पिता जी पहले भी कुछ संस्था खोल चुके थे पर सफल नहीं हुए क्योंकि वे दान या सेवा कार्य अकेले मे करना पसंद करते थे, वे ना तो प्रचार पर ध्यान देते थे ना ही डोनेशन लेने में। और भी कई वजहें थी। हम साथ में मिलकर एक नई एनजीओ बनाने में लग गए और कुछ सदस्यों ने संस्था को पंजीकृत करने मे सहयोग दिया। शुरू में संस्था के लिए जो नाम हम लोग सोचे थे वह रजिस्टर्ड नहीं हो पाया लेकिन बहुत जद्दोजहद के बाद संस्था का पंजीकरण सरकार द्वारा किया गया और 23 सितम्बर 2020 को जन अभ्युदय सेवा फाउंडेशन अस्तित्व में आया।

साथियों मैं बिल्कुल भी संस्था चलाना नहीं जानता था लेकिन मैं इतना जरूर जानता था कि मुझे कुछ ऐसा करना है जिससे की मैं समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकूँ और देश को बेहतर बनाने में अपना सहयोग दे सकूँ। मेरा पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी चल रहा था और मैं यूपीएससी की तैयारी भी शुरू कर चुका था। तब मैं और जानना शुरू किया की एनजीओ समाज मे कितना बड़ा बदलाव ला सकता है। मैं संस्था को चलाने के लिए आवश्यक गुण सीखता जा रहा था। एक साल हो गया। हमने कई बच्चों को पढ़ाया कोरोना समय में लेकिन हमने कभी प्रचार नहीं किया। दूसरा साल भी हो गया। हमने सोशल मीडिया पर संस्था का पेज बनाना शुरू किया और कुछ बातें शेयर करना शुरू किया। मैं भी अपने पिता जी (जो की इस संस्था के अध्यक्ष हैं) की तरह सेवा कार्य को करते समय फोटो खीचना और उसका प्रचार करना अच्छा नहीं समझता था। लेकिन जब मैंने देखा की सोशल मीडिया के माध्यम से हम अपने सेवा कार्य को और बड़े स्तर पर कर सकते हैं, ज़्यादा लोगों तक पहुँच सकते हैं, ज़्यादा लोगों के जीवन मे सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। तब हमने फोटो खीचना और सोशल मीडिया पर डालना शुरू किया।

हाल ही में हमारी आपकी संस्था 3 साल की हो गई और उसी खुशी के अवसर पर हम संस्था की वेबसाईट भी बनवा लिए। www.jasfoundation.org.in ये है संस्था की वेबसाईट। साथियों सबसे कमाल की बात ये है की हम अभी तक डोनेशन नहीं लेते थे। संस्था के प्रबंधन सदस्य द्वारा ही संस्था का सभी कार्य किया जाता था। हमने बहुत बड़ा परिवर्तन लाने का सपना देखा था परंतु हम बहुत ही कम लोगों तक पहुँच पाए, बहुत ही कम लोगों की जिंदगी में परिवर्तन ला पाए हैं। संस्था का मुख्य फोकस शिक्षा, कौशल विकाश और युवा सशक्तिकरण पर है जिससे हमारा देश बहुत बेहतर हो सके। किन्तु संसाधन की कमी होने के कारण हम अपने प्रोजेक्ट्स को सुचारु रूप से संचालित नहीं कर पा रहें है। अतः हम आपसे आग्रह करते हैं कि संस्था को आप आर्थिक सहयोग दें जिससे संस्था अपने कार्य को सुचारु रूप से कर सके।

साथियों मैं अपनी पढ़ाई के साथ साथ इस संस्था को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे रहा हूँ। जिससे मैं बहुत कुछ सीखा जैसे कि लीडरशिप, प्रबंधन, सॉफ्ट स्किल्स आदि। साथियों आप भी अपनी क्षमतानुसार, अपनी योग्यतानुसार संस्था में अपना योगदान दे सकते हैं इससे आपके अंदर सकारात्मक बदलाव आएगा, आप कई कौशल सीखेंगे जो आपके प्रोफेशनल जीवन में काम आएगा। हम जब देश के लिए कुछ करते हैं तो हमें बहुत खुशी होती है और खुद के ऊपर गर्व भी होता है।

साथियों जब हम एनजीओ के बारे में लोगों को बताते हैं की हम देश के लिए ये काम कर रहे हैं आपका सहयोग चाहिए तो कई लोग बोलते हैं की हमें क्या मिलेगा, हमारा क्या फायदा होगा, कुछ आर्थिक लाभ होगा की नहीं। साथियों मुझे लगता है जो लोग आर्थिक लाभ के लिए एनजीओ से जुड़ते हैं वही एनजीओ को बदनाम करते हैं ऐसे लोगों को संस्था से कभी नहीं जुड़ना चाहिए। और ऐसे लोग हमारी संस्था से कभी ना जुड़ें। साथियों एनजीओ बनाया जाता है समाज के विकास के लिए, देश को आगे बढ़ाने के लिए, कुछ सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए और हमारी संस्था इसी उद्देश्य के लिए सदैव प्रयासरत है।

जब देश के लिए कुछ करने का दिल में जज्बा उठता है ना तब आप खुद को भी एक बड़े लक्ष्य को पूरा करने के लिए झोंक देते हो। फालतू समय और ऊर्जा व्यर्थ नहीं करते। साथियों आज हमारे देश की जनसंख्या विश्व में सर्वाधिक है और उनमें से भी युवाओं की संख्या हमारे देश में सर्वाधिक है। अगर हम युवा अपने समय, ऊर्जा और धन का कुछ हिस्सा समाज और देश के बेहतर बनाने में लगाएं तो हमारे देश को विकसित और समृद्ध होने से कोई नहीं रोक सकता। हमारे संस्था को ऐसे ही क्रांतिकारी की जरूरत है जिसके अंदर एक आग धधक रही हो देश में सकारात्मक परिवर्तन लाने की।

साथियों मैं कुछ भी नहीं था लेकिन एक महान उद्देश्य के साथ जुड़ा और बहुत कुछ बन गया। साथियों आपको भी एक महान लक्ष्य चुनने की आवश्यकता है, पवित्र उद्देश्य से जुड़ने की जरूरत है जिससे हम सब मिलकर अपने प्यारे भारत को एक नई ऊँचाई पर ले जा सकें। धन्यवाद।

आपका अपना

पंकज शुक्ला।

One thought on “जन अभ्युदय सेवा फाउंडेशन: शिक्षा, सेवा, और युवा सशक्तिकरण के सफल 3 साल

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